ब्रह्म क्या वस्तु है
श्रीहरिदास ठाकुर जी कहते हैं- हे गौरहरि ! वह ब्रह्म आपके अंगों की कान्ति ( चमक ) है, जोकि ज्योतिर्मय है | विरजा नदी के उस पार जो ज्योतिर्मय ब्रह्म - धाम है, उसमे महाज्ञानी लीन हो जाते हैं | इनके अलावा असुरों का भगवान् विष्णु अपने हाथों से संहार करते हैं वे सब असुर भी माया से पार होकर उसी ब्रह्म में लीन हो जाते हैं | (क्रमशः)
(हरिनाम चिन्तामणि)
पहला अध्याय
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