भक्ति - उन्मुखी सुकृति
कर्मोन्मुखी, ज्ञानोंन्मुखी व भक्ति उन्मुखी -- ये तीन प्रकार की सुक्रितियाँ होती हैं | इनमें भक्ति उन्मुखी सुकृति ही प्रधान है, जिसके फलस्वरूप जीव साधू- भक्तों की संगति को प्राप्त करता है | श्रद्धावान होकर कोई जीव श्रीकृष्ण के भक्तों का संग प्राप्त करता है तब उस जीव की साधू - संग के प्रभाव से हरिनाम में रूचि उत्पन्न हो जाती है तथा साथ ही उसके हृदय में जीवों के प्रति दया का भाव उमड़ पड़ता है | इस प्रकार साधू - संग के फल से उस श्रद्धावान जीव को भक्ति पथ की प्राप्ति व इस सुन्दर कल्याणकारी पथ पर चलने का सौभाग्य प्राप्त होता है | (क्रमशः)
(हरिनाम चिन्तामणि)
पहला अध्याय
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