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बुधवार, 28 फ़रवरी 2018

बद्ध और बहिर्मुख - जीव

बद्ध और बहिर्मुख - जीव
     इनके अलावा जिन जीवों ने अपने सुख की भावना से भगवान् के पीछे रहने वाली माया का वरण किया अर्थात अपने सुख के लिए जिन्होंने माया के भोगों की कामना की वे सभी जीव नित्य काल के लिए श्रीकृष्ण से विमुख हो गए और उन्होंने माया के इस देवी - धाम में माया के द्वारा बना शरीर प्राप्त किया | अब यहाँ वे भगवान् से विमुख जीव पाप - पुण्य रुपी चक्कर में पड़कर स्थूल व सूक्ष्म शरीर धारण करके इस संसार में भटक रहे हैं | वे कभी स्वर्ग आदि लोकों में तो कभी नर्क की प्राप्ति करते हुए चौरासी लाख योनियों को भोगते हुए भटकते रहते हैं | (क्रमश:)
(हरिनाम चिन्तामणि)
पहला अध्याय
पृष्ठ 6  

मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

जीव-वैभव एवं मुक्त जीव

जीव-वैभव एवं मुक्त जीव
     सत्य यह है की आपका चिद-वैभव तो अपने आप में पूर्ण-तत्व है, चेतन-तत्व है, जबकि माया-वैभव तो इस चिद-वैभव की छाया है | आकार की दृष्टि से देखा जाए तो यह जीव अति अणु-स्वरूप है परन्तु चिन्मय होने के कारण जीव के गठन होने में ही स्वतन्त्रता है तथा संख्या में ये जीव अनन्त हैं एवं सुख की प्राप्ति करना ही इन जीवों का लक्ष्य होता है |
मुक्त-जीव
     उस नित्य सुख को प्राप्त करने के लिए जिन्होंने आनन्द-स्वरूप श्रीकृष्ण का वरण किया है, वे तो श्रीकृष्ण के पार्षद बन गए तथा मुक्त जीवों के रूप में रहने लगे | (क्रमशः)
(हरिनाम चिन्तामणि)
पहला अध्याय
पृष्ठ 5

सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

मिश्र सत्व, चिद-वैभव विस्मृति एवं अचिद-वैभव अथवा माया तत्व

मिश्र सत्व
मायाधीश-प्रभु, शुद्ध सत्वमय हैं तथा वे माया के भी ईश्वर हैं जबकि ब्रह्मा, शिव इत्यादि सभी त्रिगुणात्मक देवता हैं, ये सभी मिश्र-तत्व हैं | 
चिद-वैभव विस्मृति 
     श्रीहरिदास ठाकुर जी भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी को कहते हैं कि जितने भी विष्णु-तत्व और विष्णु धाम की लीलाएं हैं वे सभी आपके चिद-वैभव हैं |

रविवार, 25 फ़रवरी 2018

श्रीकृष्ण की चिद-विभूति ही शुद्ध सत्व है

श्रीकृष्ण की चिद-विभूति ही शुद्ध सत्व है
     श्रीकृष्ण के चिद-वैभव स्वरूप--जो श्रीकृष्ण के नाम, रूप, गुण, धाम, लीला व परिकर आदि हैं, उनमें माया का विकार नहीं रहता है क्योंकि वह जड़ से परे रहते हैं | ये विष्णु-तत्व, शुद्ध सत्व का सार होता है | इस शुद्ध सत्व में रजोगुण और तमोगुण की कोई गन्ध भी नहीं रहती | यह सभी जानते हैं कि मिश्र-सत्व रजोगुण और तमोगुण मिले होते हैं |
     श्रीगोविन्द, श्रीबैकुण्ठनाथ, श्रीनारायण, श्री करणोदशायी महाविष्णु, गर्भोदशायी विष्णु, क्षीरोदशायी विष्णु, और जितने भी 'स्वांश' नाम से परिचित भगवान के अवतार हैं, वे सभी शुद्ध-सत्व-स्वरूप हैं तथा विष्णु-तत्व का सार-स्वरूप हैं | यह सब विष्णु-तत्व, गोलोक में, बैकुण्ठ में, कारण-समुद्र में अथवा इस जड़-जगत में प्रवेश होने पर भी माया के अधीश्वर रहते हैं | विष्णु नाम ही विभु हैं, ये सभी देवताओं के ईश्वर हैं | (क्रमशः)
(हरिनाम चिन्तामणि)
अध्याय 1
पृष्ठ 5 

शनिवार, 24 फ़रवरी 2018

तीन प्रकार के वैभव

तीन  प्रकार के वैभव
     शक्ति का जो प्रकाश है, उसी को प्रकाश कहा जाता है |  वैभव ही केवल अनुभव में आता है | श्रीहरिदास ठाकुर जी कहते हैं कि हे गौरसुन्दर ! तुम्हारा वैभव शास्त्र में चिद-वैभव, अचिद-वैभव (माया-वैभव) तथा जीव-वैभव -- इन तीन रूपों में वर्णित है |
 चिद-वैभव
     अनन्त-वैकुण्ठ आदि जितने भी श्रीकृष्ण के धाम हैं, 'गोविन्द', 'श्रीकृष्ण', 'हरि' आदि जितने भी भगवान् के नाम हैं, द्विभुज-वंशीधर, द्विभुज मुरलीधर, धनुर्धर, चतुर्भुज नारायण इत्यादि जितने भी भगवान् के स्वरूप हैं,  भक्त-वात्सल्य इत्यादि जितने भी श्रीकृष्ण के मनोहर गुण हैं, व्रज में रासलीला, नवद्वीप में नाम संकीर्तन, इस प्रकार जितनी भी श्रीकृष्ण की लीलाएं हैं-- ये सभी भगवान् श्रीकृष्ण के अप्राकृत चिद-वैभव हैं | प्राकृत जगत में आने पर भी ये प्राकृत नहीं हैं, ये सभी अप्राकृत हैं या यूँ कहें कि ये उनके चिन्मय-वैभव हैं | श्रीकृष्ण के ये सब चिमय धाम, नाम, रूप, गुण व लीला इत्यादि सभी विष्णु-तत्व का सार स्वरूप हैं | वेद इन सभी को विष्णुपद कहकर बार-बार इनकी महिमा वर्णन करते रहते हैं | (क्रमशः)
श्रीहरिनाम चिन्तामणि
पहला अध्याय 
पृष्ठ 4 

शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण शक्ति

श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण शक्ति
श्रीकृष्ण की शक्ति श्रीकृष्ण से कभी भी अलग नहीं है | वेद मन्त्रों में कहा गया है कि जो शक्ति है वे ही श्रीकृष्ण हैं, अंतर केवल इतना हैं कि श्रीकृष्ण विभु हैं और शक्ति उनका वैभव स्वरूप है | अनन्त वैभव के द्वारा अर्थात अनन्त शक्तियों से युक्त होकर भी श्रीकृष्ण 'एक' स्वरूप कहे जाते हैं | कहने का तात्पर्य यह है कि श्रीकृष्ण अनन्त शक्ति स्वरूप हैं, इसलिए उन्हें सर्वशक्तिमान कहा जाता है | शक्ति से श्रीकृष्ण नहीं बल्कि श्रीकृष्ण से अनन्त शक्तियाँ प्रकाशित होती हैं | (क्रमशः)
                                                                                                                        (श्री हरिनाम चिन्तामणि )
                                                                               पहला अध्याय
                                                                                           पृष्ठ 4

गुरुवार, 22 फ़रवरी 2018

कृष्ण तत्व

कृष्ण तत्व
इच्छामय भगवान् श्रीकृष्ण ही एकमात्र सर्वेश्वर हैं, वे श्रीकृष्ण नित्य हैं, सर्वशक्तिमान हैं, सर्वव्यापक हैं तथा सर्वश्रेष्ठ तत्व हैं | श्रीकृष्ण स्वतन्त्र व स्वेच्छामय पुरुष हैं | वे स्वभाविक रूप से ही अचिन्त्य शक्तियुक्त हैं | (क्रमशः)
(श्री हरिनाम चिन्तामणि )
पहला अध्याय
पृष्ठ 4