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गुरुवार, 30 जून 2016

अक्रूर जी की ब्रज यात्रा

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
अक्रूर जी की ब्रज यात्रा
     अक्रूर जी रथ पर सवार होकर ब्रज के लिए चल पड़े| परम भाग्यवान अक्रूर जी यात्रा करते समय भगवान् श्रीकृष्ण की प्रेममयी भक्ति में खो गए| सोचने लगे के मैंने ऐसा कौन सा शुभ कर्म किया है, ऐसी कौन सी श्रेष्ठ तपस्या की है या कौन सा ऐसा दान दिया है, जिसके फलस्वरूप आज मैं भगवान् श्रीकृष्ण के दर्शन करूँगा|

बुधवार, 29 जून 2016

नारद जी का भगवान् के पास आना और स्तुति करना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
नारद जी का भगवान् के पास आना और स्तुति करना    
     देवर्षि नारद जी भगवान् के परम प्रेमी और समस्त जीवों के हितैषी हैं| कंस के यहाँ से लौटकर वह भगवान् श्रीकृष्ण के पास आयें और एकान्त में उनसे कहने लगे- हे  सच्चिदानन्दस्वरूप श्रीकृष्ण! आपका स्वरूप मन और वाणी का विषय नहीं है| आप योगेश्वर हैं|

मंगलवार, 28 जून 2016

केशी का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
केशी का उद्धार   
     कंस ने जिस केशी नामक दैत्य को श्रीकृष्ण और बलराम जी को मारने के लिए भेजा था, वह बड़े भारी घोड़े से रूप में बड़े ही वेग से दौड़ता हुआ ब्रज में आया| उसकी भयानक हिनहिनाहट से सभी भय से कांप गए| उसकी बड़ी-बड़ी आँखें थीं, मुँह मानो किसी वृक्ष का खोडर था| उसे देखने से ही बड़ा डर लगता था|

सोमवार, 27 जून 2016

नारद जी द्वारा कंस को श्रीकृष्ण के बारे में सच्चाई बताना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
नारद जी द्वारा कंस को श्रीकृष्ण के बारे में सच्चाई बताना   
     भगवान् की लीला अत्यन्त अद्भुत है| इधर जब उन्होंने अरिष्टासुर को मारा, तब नारद जी कंस के पास पहुँचे| उन्होंने कंस से कहा- कंस! जो कन्या तुम्हारे हाथ से छूटकर आकाश में चली गई थी, वह तो यशोदा की पुत्री थी, और ब्रज में जो श्रीकृष्ण हैं वो देवकी के पुत्र हैं और वहाँ जो बलराम जी हैं वह रोहिणी के पुत्र हैं|

रविवार, 26 जून 2016

अरिष्टासुर का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
अरिष्टासुर का उद्धार   
     जिस समय भगवान् श्रीकृष्ण गौओं को चराने के उपरान्त ब्रज में प्रवेश कर थे और वहां आनन्दोत्सव की धूम मची हुई थी, उसी समय अरिष्टासुर नाम का दैत्य बैल का रूप धारण करके आया| उसका कुकुद (कन्धे का पुट्ठा) और डील-डौल दोनों ही बड़े-बड़े थे| वह अपने खुरों को इतनी ज़ोर-ज़ोर से पटक रहा था कि धरती कांप रही थी|

शनिवार, 25 जून 2016

शन्खचूड का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
शन्खचूड का उद्धार  
     एक दिन की बात है कि श्रीकृष्ण और बलराम जी वन में गोपियों के साथ विहार कर रहे थे| भगवान् श्रीकृष्ण निर्मल पीताम्बर और बलराम जी नीलाम्बर धारण किये हुए थे| भगवान् श्रीकृष्ण और बलराम जी मिलकर राग अलाप रहे थे| उनका गान सुनकर गोपियाँ मोहित हो गईं|

शुक्रवार, 24 जून 2016

सुदर्शन का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
सुदर्शन का उद्धार
     एक बार नन्द बाबा आदि गोपों ने शिवरात्रि के अवसर पर बैल गाड़ियों में सवार होकर अम्बिकावन की यात्रा की| वहां उन लोगों ने सरस्वती नदी में स्नान किया और पशुपति भगवान् शंकर जी तथा भगवती अम्बिका जी का बड़ी भक्ति के साथ पूजन किया| वहां उन्होंने गौएँ, सोना, वस्त्र, मधु और अन्न ब्राह्मणों को दिए|

गुरुवार, 23 जून 2016

महारास-(2)

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
महारास-(2)
     शुकदेव जी ने राजा परीक्षित के सन्देह को इस प्रकार मिटाया-सूर्य, अग्नि कभी-कभी धर्म का उल्लंघन और साहस का काम करते देखे जाते हैं| परन्तु उन कामों से उन तेजस्वी पुरुषों को कोई दोष नहीं लगता| देखो, अग्नि सब कुछ खा जाती है, परन्तु उन पदार्थों के दोष से लिप्त नहीं होती|

बुधवार, 22 जून 2016

महारास-(1)

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
महारास-(1)
     यमुना जी के पुलिन पर भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी रसमयी रास-क्रीडा प्रारम्भ की| सम्पूर्ण योगों के स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण दो-दो गोपियों के बीच में प्रकट हो गए| इस प्रकार एक गोपी और एक कृष्ण यही क्रम था सभी गोपियाँ ऐसा अनुभव करती थीं कि हमारा कृष्ण तो हमारे ही पास है|

मंगलवार, 21 जून 2016

भगवान् का गोपीयों के मध्य प्रकट होना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
भगवान् का गोपीयों के मध्य प्रकट होना
     भगवान् की प्यारी गोपियाँ विरह के आवेश में भान्ति-भान्ति के प्रलाप करने लगीं, तथा वे फूट-फूट कर रोने लगीं| ठीक उसी समय भगवान् उनके बीच में प्रकट हो गए|

सोमवार, 20 जून 2016

गोपियों की विरह

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
गोपियों की विरह 
     गोपियाँ विरह वेश में गाने लगीं| प्यारे! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोकों से भी ब्रज की महिमा बढ़ गई है| तभी तो सौंदर्य और मृदुलता की देवी लक्ष्मी जी आपका स्थान वैकुण्ठ छोड़कर यहाँ नित्य-निरंतर निवास करने लगी हैं, चरणों की  सेवा करने लगी हैं|

रविवार, 19 जून 2016

श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा
     भगवान् सहसा अंतर्धान हो गए l  उन्हें न देखकर ब्रजयुवतियों का ह्रदय विरह की ज्वाला से जलने लगा l वे प्रेम की मतवाली गोपियाँ श्रीकृष्णमय हो गयीं और फिर श्रीकृष्ण की विभिन्न चेष्टाओं का अनुकरण करने लगीं l

शनिवार, 18 जून 2016

रास लीला (भाग 2)

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
रास लीला (भाग 2)
     भगवान् श्रीकृष्ण का ऐसा आदेश देने पर गोपियाँ बहुत उदास हो गईं| उनकी आँखें रोते-रोते लाल हो गईं, आंसुओं के मारे रुंध गयीं| उन्होंने गिरज करके अपने आँसू पोंछे और फिर कहने लगीं प्यारे श्री कृष्ण! तुम घट-घट व्यापी हो| हमारे हृदय की बात जानते हो|

शुक्रवार, 17 जून 2016

रास लीला (भाग 1)

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि

रास लीला (भाग 1)
     भगवान् ने चीर हरण के समय गोपीयों को जिन रात्रियों को संकेत किया था, वे सब-के-सब पुंजीभूत होकर एक ही रात्रि के रूप में उल्लासित हो रही थी|

गुरुवार, 16 जून 2016

पाण्डवा निर्जला एकादशी व्रत कथा

भीमसेन व्यासजी से कहने लगे कि हे पितामह! भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सब एकादशी का व्रत करने को कहते हैं, परंतु महाराज मैं उनसे कहता हूँ कि भाई मैं भगवान की शक्ति पूजा आदि तो कर सकता हूँ, दान भी दे सकता हूँ परंतु भोजन के बिना नहीं रह सकता।

वरुण लोक से नन्द जी को छुड़ाकर लाना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
वरुण लोक से नन्द जी को छुड़ाकर लाना
नन्द बाबा ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास किया और भगवान् की पूजा की तथा उसी दिन रात में द्वादशी लगने पर स्नान करने के लिए यमुना जल में प्रवेश किया|

बुधवार, 15 जून 2016

कामधेनु द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण का अभिषेक

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
कामधेनु द्वारा भगवान् श्रीकृष्ण का अभिषेक  
     जब भगवान् श्रीकृष्ण ने गिरिराज गोवर्धन को धारण करके मूसलाधार वर्षा से ब्रजवासियों कि रक्षा की, तब उनके पास गोलोक से माता कामधेनु (गाय) उनको बधाई देने के लिए और स्वर्ग से देवराज इन्द्र अपने अपराध को क्षमा करवाने के लिए आये|

मंगलवार, 14 जून 2016

भगवान् श्रीकृष्ण के प्रभाव ब्रजवासियों की जुबानी

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
भगवान् श्रीकृष्ण के प्रभाव ब्रजवासियों की जुबानी  
     ब्रज के गोप भगवान् श्रीकृष्ण के ऐसे अलौकिक कर्म देखकर बड़े आश्चर्य में पड़ गए| उन्हें भगवान् श्रीकृष्ण की अनन्त शक्ति का तो पता था नहीं, वे इकट्ठे होकर आपस में इस तरह कहने लगे- इस बालक के कर्म बड़े आलौकिक हैं|

सोमवार, 13 जून 2016

गोवर्धन धारण

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
गोवर्धन धारण 
     जब इन्द्र को पता लगा की उनकी पूजा बन्द कर दी गई है, तब वे नन्द बाबा और गोपों पर बहुत क्रोधित हुए| इन्द्र अपने आपको त्रिलोकी का ईश्वर मानता था, उसने क्रोध से तिलमिलाकर प्रलय करने वाल्व मेघों को ब्रज पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी और कहा- इन जंगली ग्वालों को इतना घमण्ड! सचमुच यह धन का नशा है|

रविवार, 12 जून 2016

इन्द्रयज्ञ निवारण

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
इन्द्रयज्ञ निवारण 
     एक दिन भगवान् श्रीकृष्ण ने देखा कि वृन्दावन में गोप इन्द्र-यज्ञ करने की तैयारी कर रहे हैं| भगवान् श्रीकृष्ण सर्वज्ञ और अन्तर्यामी हैं| उनसे कोई बात छिपी नहीं है, फिर भी उन्होंने नन्द बाबा से पूछा- पिता जी! आप किस यज्ञ की तैयारी कर रहे हैं| उन्होंने उस यज्ञ के उद्देश्य और उसके फल के बारे में पूछा|

शनिवार, 11 जून 2016

यज्ञपत्नियों पर कृपा

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
यज्ञपत्नियों पर कृपा 
     एक बार भगवान् कृष्ण बलराम सहित ग्वालबालों के संग गौएँ चराते-चराते वन में बहुत दूर निकल गए| ग्वालबालों को भूख सताने लगी| उन्होंने भगवान् श्रीकृष्ण से भूख मिटाने का उपाय करने को कहा| जब ग्वालबालों ने भगवान् से इस प्रकार प्रार्थना की तब उन्होंने मथुरा की अपनी भक्त ब्राह्मण पत्नियों पर अनुग्रह करने के लिए यह बात कही-मेरे प्यारे मित्रो! यहाँ से थोड़ी दूर वेदवादी ब्राह्मण स्वर्ग की कामना से अग्निरस नामक यज्ञ कर रहे हैं|

शुक्रवार, 10 जून 2016

प्रलम्भासुर उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
प्रलम्भासुर उद्धार
     अब आनंदित स्वजन सम्बन्धियों से घिरे हुए एवं उनके मुख से अपनी कीर्ति का गुणगान सुनते हुए श्रीकृष्ण ने गोकुल मंडित गोष्ट में प्रवेश किया| इस प्रकार अपनी योगमाया से ग्वाल का वेष बनाकर राम और श्याम ब्रज में क्रीडा कर रहे थे|

गुरुवार, 9 जून 2016

ब्रजवासियों को आग से बचाना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रजवासियों को आग से बचाना
     ब्रजवासी और गौएँ बहुत थक गए थे| ऊपर से भूख-प्यास भी लग रही थी| इसलिए उस रात वे ब्रज में ही रह गए, वहीँ यमुना जी के तट पर ही सो गए| गर्मी के दिन थे, उधर वन सूख गया था| आधी रात के समय उसमें आग लग गई|

बुधवार, 8 जून 2016

कालिया नाग पर कृपा

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
कालिया नाग पर कृपा
     भगवान् श्रीकृष्ण इस प्रकार वृन्दावन में अनेक लीलाएं करते| एक दिन अपने सखा ग्वालबालों के साथ यमुना तट पर गए|उस दिन बलराम जी उनके साथ नहीं थे|  भगवान् श्रीकृष्ण सभी ग्वालबालों के साथ यमुना किनारे गेंद खेल रहे थे|

मंगलवार, 7 जून 2016

धेनुकासुर का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
धेनुकासुर का उद्धार
     अब बलराम और श्रीकृष्ण ने प्रौगंड-अवस्था में अर्थात् छठे वर्ष में प्रवेश किया था| अब उन्हें गौएँ चराने की स्वीकृति मिल गई| वे अपने सखा ग्वालबालों के साथ गौएँ चराते हुए वृन्दावन में जाते| जब बलराम जी खेलते-खेलते किसी ग्वालबाल की गोद के तकिये पर सिर रखकर लेट जाते, तब श्रीकृष्ण उनके चरण दबाने लगते, पंखा झलने लगते| इस प्रकार अपने बड़े भाई की थकावट दूर करते| भगवान् ने अपनी योगमाया से अपने ऐश्वर्य के स्वरूप को छिपा रखा था| वह गोपबालकों जैसी ही लीलाएं करते थे| एक दिन श्री दामा जी और सुबल आदि गोपों ने बलराम और कृष्ण से कहा कि यहाँ से थोड़ो दूरी पर बड़ा भारी वन है| उसमें पाँत-के-पाँत ताड़ के वृक्ष भरे पड़े हैं| वहां बहुत से ताड़ के फल पक-पक कर गिरते रहते हैं| परन्तु वहाँ धेनुक नामक दुष्ट दैत्य रहता है| उसने उन फलों पर रोक लगा रखी है| वह दैत्य गधे के रूप में रहता है| उस दैत्य ने अभी तक अनेकों मनुष्य खा डाले हैं| यही कारण है कि उसके डर से मनुष्य और पशु पक्षी उस वन में नहीं जाते| कृष्ण तुम वे फल हमें खिलाओ|
     अपने सखा कि बात सुनकर श्रीकृष्ण और बलराम हंस पड़े और फिर ग्वालबालों को प्रसन्न करने के लिए उस वन कि ओर चल पड़े| उस वन में पहुँचकर बलराम जी ने अपनी बाहों से उन ताड़ के पेधों को पकड़ लिया और मतवाले हाथी के बच्चे के समान उन्हें जोर जोर से हिलाकर बहुत से फल नीचे गिरा दिए| जब धेनुक ने फलों के गिरने का स्वर सुना, तब वह पर्वतों के साथ पृथ्वी को कम्पाता हुआ उनकी ओर दौड़ा| अपने बड़े वेग से बलराम जी के सामने आकर पिछले पैरों से उनकी छाती में दुलत्ती मारी और इसके बाद वह दुष्ट बड़े जोर से रेंगता हुआ वहाँ से हट गया| दूसरी बार वह गधा बलराम जी की ओर दौड़ा तो बलराम जी ने उसकी पिछली दोनों टांगें पकड़कर आकाश में घुमाते हुए जोर से ताड़ के वृक्ष पर दे मारा| घुमाते समय ही उस गधे के प्राण पखेरू उड़ गए|
     उसके गिरने की चोट से महान ताड़ का वृक्ष जिसका ऊपरी भाग बहुत विशाल था- स्वयं तो गिर ही पड़ा, सटे हुए दूसरे वृक्ष को भी उसने तोड़ डाला| उस समय धेनुकासुर के भाई-बन्धु अपने भाई के मारे जाने से आग बबूला हो गए| सब के सब गधे श्रीकृष्ण और बलराम जी पर टूट पड़े| उनमें से जो-जो सामने आया, उसी-उसी को श्रीकृष्ण और बलराम जी ने खेल-खेल में ही पिछले पैर पकड़कर ताड़ के वृक्षों पर दे मारा और उन सब की तत्क्षण ही मृत्यु हो गई| इस तरह भगवान् श्रीकृष्ण ने धेनुकासुर का उद्धार किया|
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सोमवार, 6 जून 2016

ब्रजवासियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रजवासियों का श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम
     राजा परीक्षित ने पूछा कि ब्रजवासियों के लिए श्रीकृष्ण उनके पुत्र नहीं थे| फिर भी उनका श्रीकृष्ण के प्रति इतना प्रेम कैसे हुआ?

रविवार, 5 जून 2016

ब्रह्मा जी का मोह और उसका नाश

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रह्मा जी का मोह और उसका नाश
     अघासुर को मारकर भगवान् श्रीकृष्ण ग्वालबालों को बछड़ों सहित यमुना जी के पास ले आये| दिन अधिक चढ़ जाने के कारण सभी को भूख लगी थी| बछड़ों ने यमुना जी का पानी पिया| ग्वालबाल भगवान् के साथ भोजन करने लगे | भगवान् सब के बीच बैठकर अपनी विनोद भरी बातों से अपने साथी ग्वालबालों को हँसाते जा रहे थे|

शनिवार, 4 जून 2016

अघासुर का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
अघासुर का उद्धार
     एक दिन सुबह-सुबह श्याम सुन्दर अपने साथी ग्वालबालों के साथ गाय चराने के लिए वन को निकले| उसी समय एक अघासुर नामक दैत्य आ गया| वह इतना भयंकर था कि अमृतपान करके अमर हुए देवता भी उस से चिंतित रहा करते थे और इस बात कि बाट देखते थे कि किसी प्रकार इसकी मृत्यु हो जाए|

शुक्रवार, 3 जून 2016

वत्सासुर और बकासुर का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
वत्सासुर और बकासुर का उद्धार 
वृन्दावन बड़ा ही सुन्दर वन है| चाहे कोई भी ऋतु हो, वहां सुख ही सुख है| वहा ग्वालों ने अपने छकड़ों और गोधन के रहने योग्य स्थान बना लिया| एक समय की बात है, श्याम और बलराम अपने प्रेमी सखा ग्वालबालों के साथ यमुना तट पर बछड़े चरा रहे थे|

गुरुवार, 2 जून 2016

फल बेचने वाली का उद्धार

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
फल बेचने वाली का उद्धार
     एक दिन कोई फल बेचने वाली फल बेच रही थी| सुबह से शाम हो गई परन्तु उसका एक भी फल ना बिका| थक हार कर वह गोकुल में आकर नन्दबाबा के घर के सामने बैठ गई|

बुधवार, 1 जून 2016

अपरा एकादशी व्रत कथा

     युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन! ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी का क्या नाम है तथा उसका माहात्म्य क्या है सो कृपा कर कहिए?

भगवान् का ओखल से बाँधा जाना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
भगवान् का ओखल से बाँधा जाना
     कार्तिक मास की बात है, नन्दरानी यशोदा ने घर की दासियों को दूसरे कामों में लगा दिया और स्वयं अपने लल्ला को माखन खिलाने के लिए दही मथने लगीं|