|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
अरिष्टासुर का उद्धार
जिस समय भगवान् श्रीकृष्ण गौओं को चराने के उपरान्त ब्रज में प्रवेश कर थे और वहां आनन्दोत्सव की धूम मची हुई थी, उसी समय अरिष्टासुर नाम का दैत्य बैल का रूप धारण करके आया| उसका कुकुद (कन्धे का पुट्ठा) और डील-डौल दोनों ही बड़े-बड़े थे| वह अपने खुरों को इतनी ज़ोर-ज़ोर से पटक रहा था कि धरती कांप रही थी|वह बड़ी ज़ोर-जोर से गरज रहा था और अपने पैरों से धूल उछालता जाता था| पूँछ खड़ी किये हुए था और सींगों से चार दीवारी, खेतों की भेंड आदि तोड़ता जाता था| उसकी गर्जना से भयवश स्त्रियों और गौओं के तीन चार महीने के गर्भ स्रावित हो जाते थे और पांच छ: महीने के गिर जाते थे| उसके कुकुद को देखकर बादल उन्हें पर्वत समझकर उस पर आकर ठहर जाते थे| उस तीखे सींग वाले बैल को देखकर सभी भयभीत हो गए| पशु तो इतने डर गए कि अपने रहने का स्थान छोड़कर भाग गए| सभी ब्रजवासी ‘श्रीकृष्ण! श्री कृष्ण! हमें इस भय से बचाओ’ इस प्रकार पुकारते हुए श्रीकृष्ण की शरण में गए| भगवान् ने देखा कि हमारा गोकुल अत्यन्त भयातुर हो रहा है| तब उन्होंने डरने की कोई बात नहीं है- ऐसा कहकर सबको तस्सली दी| और अरिष्टासुर को ललकारा, अरे मूर्ख! महादुष्ट! तू इन गौओं और ग्वालों को डरा रहा है| इससे क्या होगा? देख! तुम जैसे दुष्टों के बल का घमण्ड चूर-चूर कर देने वाला यह मैं हूँ| इस प्रकार कहकर भगवान् ने ताल ठोंकी और उसे क्रोधित करने के लिए अपने एक सखा के गले में बाँह डालकर खड़े हो गए| भगवान् श्रीकृष्ण की इस चुनौती से वह क्रोध में आ गया और श्रीकृष्ण की ओर झपटा| उसने अपने सींग आगे कर लिए| वह श्रीकृष्ण पर ऐसे टूट पड़ा, मानो इन्द्र के हाथ से छोड़ा हुआ वज्र हो| भगवान् श्रीकृष्ण ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों सींग पकड़ लिए और जैसे एक हाथी अपने से भिड़ने वाले दुसरे हाथी को पीछे हटा देता है, वैसे ही उन्होंने उसे अठारह पग पीछे धकेल कर नीचे गिरा दिया| वह तुरन्त खड़ा हो गया और भगवान् पर झपट पड़ा| जब भगवान् ने देखा कि अब वह उन पर प्रहार करने वाला है तब उन्होंने उसके सींग पकड़कर लात मारकर धरती पर गिरा दिया| फिर चरणों से दबाकर इस प्रकार उसका कचूमर निकाला, जैसे कोई गीला कपडा निचोड़ देता है| इसके बाद उसके सींग उखाड़कर उसे बहुत पीटा| उसके मुँह से खून निकलने लगा और वह गोबर-मूत करता हुआ पैर पटकने लगा| उसकी आँखें उलट गईं और उसने बड़े कष्ट के साथ प्राण छोड़े| देवता भगवान् श्रीकृष्ण पर फूल बरसाकर उनकी स्तुति करने लगे|
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भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
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