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गुरुवार, 16 जून 2016

वरुण लोक से नन्द जी को छुड़ाकर लाना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
वरुण लोक से नन्द जी को छुड़ाकर लाना
नन्द बाबा ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी का उपवास किया और भगवान् की पूजा की तथा उसी दिन रात में द्वादशी लगने पर स्नान करने के लिए यमुना जल में प्रवेश किया|
नन्द बाबा को पता नहीं था कि यह असुरों की बेला है, इसलिए वह रात के समय जमुना जल में घुस गए| उस समय वरुण के सेवक के एक असुर ने उन्हें पकड़ लिया और अपने स्वामी के पास ले गया| नन्द बाबा के खो जाने पर ब्रज के सारे गोप नन्द बाबा को इधर उधर ढूँढने लगे, नन्द बाबा न मिलने पर सभी श्रीकृष्ण के पास आये और नन्द बाबा के खो जाने का समाचार सुनाया| श्रीकृष्ण तो सर्वशक्तिमान हैं, उन्होंने जान लिया कि नन्द बाबा को वरुण का कोई सेवक ले गया है, तब श्रीकृष्ण वरुण के पास गए| जब लोकपाल वरुण ने देखा कि स्वयं श्रीकृष्ण उसके यहाँ पधारे हैं, तो वरुण ने भगवान् की पूजा की| भगवान् के दर्शन से उनका रोम-रोम खिल उठा|
     वरुण ने कहा- प्रभो! आज मेरा शरीर धारण करना सफल हो गया है| आज मुझे सम्पूर्ण प्राप्ति हो गई, क्योंकि आज मुझे आपके चरणों की सेवा का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है| भगवन! जिन्हें भी आपके चरणों की सेवा का सुअवसर मिला, वे भवसागर से पार हो गए| आप भक्तों के भगवान्, वेदान्तियों के ब्रह्मा, और योगियों के परमात्मा हैं| मैं आपको नमस्कार करता हूँ| प्रभो! मेरा यह सेवक बड़ा ही मूढ़ और अनजान है| वह अपने कर्तव्य को भी नहीं जानता| वह आपके पिता को ले आया है, आप कृपा करके उसका अपराध क्षमा कर दीजिये| हे गोविन्द! मैं जानता हूँ कि आप अपने पिता के प्रति बड़ा प्रेम भाव रखते हैं| आप अपने पिता को ले जाइए और मुझ दास पर भी कृपा कजिये|
     लोकपाल वरुण ने श्रीकृष्ण की स्तुति की|  इसके बाद श्रीकृष्ण अपने पिता को लेकर ब्रज चले आये| नन्द बाबा ने वरुण लोक के सुख और ऐश्वर्य को देखा और यह भी देखा कि वहां के निवासी भी उनके पुत्र के चरणों में प्रणाम कर रहे थे| उनको बहुत विस्मय हुआ| उन्होंने ब्रज में सभी को यह बात सुनाई| भगवान् के प्रेमी गोप यह सुनकर सोचने लगे कि अरे! यह तो स्वयं भगवान् हैं| तब उन्होंने मन ही मन बड़ी उत्सुकता से विचार किया कि क्या कभी जगदीश्वर भगवान् श्रीकृष्ण हम लोगों को भी अपना वह मायातीत स्वधाम, जहां केवल इनके प्रेमी भक्त ही जा सकते हैं, दिखाएँगे? भगवान् से भला क्या छिपा है, वह गोपों के मन की बात जान गए, और उनका संकल्प सिद्ध करने के लिए उन सब को अपना परमधाम दिखलाया| भगवान् ने पहले उनको उस ब्रह्म का साक्षात्कार करवाया जिसका स्वरूप सत्य, ज्ञान, अनन्त, सनातन और ज्योति स्वरूप है| जिस जलाशय में अक्रूर जी को भगवान् ने अपना स्वरूप दिखलाया था, वही रूप  भगवान् ने उन सबको दिखलाया| भगवान् के परमधाम को देखकर नन्द आदि गोप मग्न हो गए|
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भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
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