वर्ल्ड ऑफ़ कृष्ण ब्लॉग में आपका हार्दिक स्वागत है । श्री कृष्ण जी के ब्लॉग में आने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद । श्री कृष्ण जी की कृपा आप सब पर सदैव बनी रहे ।

वर्ल्ड ऑफ़ कृष्ण में आपकी आगन्तुक संख्या

गुरुवार, 9 जून 2016

ब्रजवासियों को आग से बचाना

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रजवासियों को आग से बचाना
     ब्रजवासी और गौएँ बहुत थक गए थे| ऊपर से भूख-प्यास भी लग रही थी| इसलिए उस रात वे ब्रज में ही रह गए, वहीँ यमुना जी के तट पर ही सो गए| गर्मी के दिन थे, उधर वन सूख गया था| आधी रात के समय उसमें आग लग गई|
उस आग ने सोये हुए ब्रजवासियों को चारों ओर से घेर लिया| आग की आंच से ब्रजवासी घबरा गए और श्रीकृष्ण की शरण में गए| उन्होंने कहा- प्यारे श्रीकृष्ण! श्याम सुन्दर! महाभाग्यवान बलराम! तुम दोनों का बल-विक्रम अनन्त है| देखो, यह भयंकर आग तुम्हारे सगे-सम्बन्धी हम स्वजनों को जलाना चाहती है| तुममें सब सामर्थ्य है| हमें इस प्रलय की अपार आग से बचाओ| भगवान् श्रीकृष्ण ने जब देखा कि सब व्याकुल हो रहे हैं, तब उन्होंने उस भयंकर आग को पी लिया| इस प्रकार भगवान् श्रीकृष्ण ने नन्द बाबा सहित सभी ब्रजवासियों की आग से रक्षा की|
अग्नि पान
(1) मैं सब का दुःख दूर करने के लिए ही अवतीर्ण हुआ हूँ| इसलिए यह दाह दूर करना भी मेरा कर्तव्य है|
(2) रामावतार में श्रीजानकी जी को सुरक्षित रखकर अग्नि ने मेरा उपकार किया था| अब उसको अपने मुख में स्थापित करके उसका सत्कार करना मेरा कर्तव्य है|
(3) कार्य का कारण में लय होता है| भगवान् के मुख से अग्नि प्रकट हुई-मुखाद अग्नि जायत| इसलिए भगवान् ने उसे मुख में ही स्थापित किया|
(4) मुख के द्वारा अग्नि शान्त करके यह भाव प्रकट किया कि भाव-दावाग्नि को शान्त करने में भगवान् के मुख स्थानीय ब्राह्मण ही समर्थ हैं|
(5) भगवान् श्रीकृष्ण भक्तों के द्वारा अर्पित प्रेम-भक्ति-सुधा-रस का पान करते हैं| अग्नि के मन में उसी का स्वाद लेने की लालसा हो आई| इसलिए उसने स्वयं ही मुख में प्रवेश किया|
(6) विषाग्नी, मुन्जाग्नी और दावाग्नि-तीनों का पान करके भगवान् ने अपनी त्रिताप नाश की शक्ति व्यक्त की|
(7) पहली बार रात्रि अग्नि पान किया था, दूसरी बार दिन में| भगवान् अपने भक्तों का ताप हरने के लिए सदा तत्पर रहते हैं|
(8) पहली बार सबके सामने और दूसरी बार सबकी आँखें बंद कराके श्रीकृष्ण ने अग्नि पान किया| इसका तात्पर्य यह है कि भगवान् परोक्ष और अपरोक्ष दोनों ही प्रकार से वे भक्तजनों का हित करते हैं|
*****************************************************
भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
*****************************************************
 photo Blog Cover0_zpsl0eorfgj.png
Please Visit:
***************
Our Blog: Click Here
Our Facebook Timeline: Click Here
Our Facebook Group: Click Here
Our Facebook Page: Click Here
Our Youtube Channel: Click Here