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रविवार, 5 जून 2016

ब्रह्मा जी का मोह और उसका नाश

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रह्मा जी का मोह और उसका नाश
     अघासुर को मारकर भगवान् श्रीकृष्ण ग्वालबालों को बछड़ों सहित यमुना जी के पास ले आये| दिन अधिक चढ़ जाने के कारण सभी को भूख लगी थी| बछड़ों ने यमुना जी का पानी पिया| ग्वालबाल भगवान् के साथ भोजन करने लगे | भगवान् सब के बीच बैठकर अपनी विनोद भरी बातों से अपने साथी ग्वालबालों को हँसाते जा रहे थे|इस प्रकार भोजन करते-करते ग्वालबाल भगवान् की इस लीला में तन्मय हो गए| उसी समय उनके बछड़े हरी-हरी घास के लालच में बड़ी दूर निकल गए| ग्वालबाल बछड़ों को वहां न पाकर घबरा गए| भगवान् ने कहा घबराओ मत| तुम सब भोजन करो मैं बछड़ों को लेकर आ जाता हूँ| ब्रह्मा जी प्रभु के द्वारा अघासुर के मोक्ष पाने को देखकर आश्चर्य-चकित थे | उन्होंने सोचा भगवान् श्रीकृष्ण की कोई और लीला भी देखनी चाहिए| ऐसा सोच कर ब्रह्मा जी पहले तो बछड़ों को ब्रह्म-लोक में ले आये| फिर जब भगवान् बछड़ों को ढूँढने चले गए, तब ब्रह्मा जी ग्वालबालों को भी ब्रह्म-लोक ले आये| 
     भगवान् श्रीकृष्ण बछड़े न मिलने पर यमुना जी के तट पर वापिस आ गए, परन्तु वहां ग्वालबालों को भी ना पाकर वह सोचने लगे कि भोजन करने के बाद सभी कहीं खेलने न चले गए हों, ऐसा सोचकर भगवान् ने उनको चारों ओर ढूँढा परन्तु ग्वालबालों के भी न मिलने पर उन्होंने आखें बन्द करके ध्यान लगाया और वह समझ गए कि ये सब ब्रह्मा जी की करतूत है| 
     
अब भगवान् श्रीकृष्ण ने जितने ग्वालबाल और बछड़े थे,उतने ही अपने रूप बछड़ों और ग्वालबालों के रूप में बना लिए| सर्वात्मा भगवान् स्वयं ही बछड़े बन गए और स्वयं ही ग्वालबाल| अपने आत्म-स्वरूप बछड़ों को अपने आत्म-स्वरूप ग्वालबालों के द्वारा घेर कर अपने ही साथ अनेक प्रकार के खेल खेलते हुए ब्रज में प्रवेश किया| जिस ग्वालबाल के जो बछड़े थे, उन्हें उसी ग्वालबाल के रूप में उनके भिन्न-भिन्न घरों में चले गए| इसी तरह प्रतिदिन भगवान् श्रीकृष्ण उन्ही बछड़ों और ग्वालबालों के साथ वन में जाते, और संध्या को अपने-अपने घरों में लौट जाते| इस प्रकार करते-करते एक वर्ष बीत गया|
     तब तक ब्रह्मा जी ब्रह्म-लोक से ब्रज में लौट आये| उन्होंने देखा कि भगवान् पहले की भान्ति ग्वालबालों के साथ क्रीडा कर रहे हैं| वह सोचने लगे कि गोकुल में जितने भी ग्वालबाल और बछड़े थे वो तो मेरी मायामयी शय्या पर सो रहें हैं- उनको तो मैंने अपनी माया से अचेत कर दिया था| वे तो अभी तक सचेत नहीं हुए हैं| फिर मेरी माया से मोहित ग्वालबाल और बछड़ों के अतिरिक्त ये उतने ही दूसरे बालक और बछड़े कहाँ से आ गये, जो एक साल से भगवान् के साथ खेल रहे हैं? 
lord brahma come to brijmandal to test divine of lord krishna
     ब्रह्मा जी ने आँखे बंद की और देखा वे सब ग्वालबाल और बछड़े और कोई नहीं, स्वयं श्रीकृष्ण ही हैं| यह अत्यन्त आश्चर्यमय दृश्य देखकर ब्रह्मा जी चकित रह गए| उनकी ग्यारहों इन्द्रियाँ क्षुब्ध एवं स्तब्ध रह गईं| ब्रह्मा जी उसी क्षण श्रीकृष्ण के चरणों में गिर पड़े और भगवान् श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगे|
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भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
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