|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
ब्रह्मा जी का मोह और उसका नाश
अघासुर को मारकर भगवान् श्रीकृष्ण ग्वालबालों को बछड़ों सहित यमुना जी के पास ले आये| दिन अधिक चढ़ जाने के कारण सभी को भूख लगी थी| बछड़ों ने यमुना जी का पानी पिया| ग्वालबाल भगवान् के साथ भोजन करने लगे | भगवान् सब के बीच बैठकर अपनी विनोद भरी बातों से अपने साथी ग्वालबालों को हँसाते जा रहे थे|इस प्रकार भोजन करते-करते ग्वालबाल भगवान् की इस लीला में तन्मय हो गए| उसी समय उनके बछड़े हरी-हरी घास के लालच में बड़ी दूर निकल गए| ग्वालबाल बछड़ों को वहां न पाकर घबरा गए| भगवान् ने कहा घबराओ मत| तुम सब भोजन करो मैं बछड़ों को लेकर आ जाता हूँ| ब्रह्मा जी प्रभु के द्वारा अघासुर के मोक्ष पाने को देखकर आश्चर्य-चकित थे | उन्होंने सोचा भगवान् श्रीकृष्ण की कोई और लीला भी देखनी चाहिए| ऐसा सोच कर ब्रह्मा जी पहले तो बछड़ों को ब्रह्म-लोक में ले आये| फिर जब भगवान् बछड़ों को ढूँढने चले गए, तब ब्रह्मा जी ग्वालबालों को भी ब्रह्म-लोक ले आये|
भगवान् श्रीकृष्ण बछड़े न मिलने पर यमुना जी के तट पर वापिस आ गए, परन्तु वहां ग्वालबालों को भी ना पाकर वह सोचने लगे कि भोजन करने के बाद सभी कहीं खेलने न चले गए हों, ऐसा सोचकर भगवान् ने उनको चारों ओर ढूँढा परन्तु ग्वालबालों के भी न मिलने पर उन्होंने आखें बन्द करके ध्यान लगाया और वह समझ गए कि ये सब ब्रह्मा जी की करतूत है|
अब भगवान् श्रीकृष्ण ने जितने ग्वालबाल और बछड़े थे,उतने ही अपने रूप बछड़ों और ग्वालबालों के रूप में बना लिए| सर्वात्मा भगवान् स्वयं ही बछड़े बन गए और स्वयं ही ग्वालबाल| अपने आत्म-स्वरूप बछड़ों को अपने आत्म-स्वरूप ग्वालबालों के द्वारा घेर कर अपने ही साथ अनेक प्रकार के खेल खेलते हुए ब्रज में प्रवेश किया| जिस ग्वालबाल के जो बछड़े थे, उन्हें उसी ग्वालबाल के रूप में उनके भिन्न-भिन्न घरों में चले गए| इसी तरह प्रतिदिन भगवान् श्रीकृष्ण उन्ही बछड़ों और ग्वालबालों के साथ वन में जाते, और संध्या को अपने-अपने घरों में लौट जाते| इस प्रकार करते-करते एक वर्ष बीत गया|
तब तक ब्रह्मा जी ब्रह्म-लोक से ब्रज में लौट आये| उन्होंने देखा कि भगवान् पहले की भान्ति ग्वालबालों के साथ क्रीडा कर रहे हैं| वह सोचने लगे कि गोकुल में जितने भी ग्वालबाल और बछड़े थे वो तो मेरी मायामयी शय्या पर सो रहें हैं- उनको तो मैंने अपनी माया से अचेत कर दिया था| वे तो अभी तक सचेत नहीं हुए हैं| फिर मेरी माया से मोहित ग्वालबाल और बछड़ों के अतिरिक्त ये उतने ही दूसरे बालक और बछड़े कहाँ से आ गये, जो एक साल से भगवान् के साथ खेल रहे हैं?
ब्रह्मा जी ने आँखे बंद की और देखा वे सब ग्वालबाल और बछड़े और कोई नहीं, स्वयं श्रीकृष्ण ही हैं| यह अत्यन्त आश्चर्यमय दृश्य देखकर ब्रह्मा जी चकित रह गए| उनकी ग्यारहों इन्द्रियाँ क्षुब्ध एवं स्तब्ध रह गईं| ब्रह्मा जी उसी क्षण श्रीकृष्ण के चरणों में गिर पड़े और भगवान् श्रीकृष्ण की स्तुति करने लगे|
*****************************************************
भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
*****************************************************
Please Visit:
***************
Our Blog: Click Here
Our Facebook Timeline: Click Here
Our Facebook Group: Click Here
Our Facebook Page: Click Here
Our Youtube Channel: Click Here
Our Facebook Timeline: Click Here
Our Facebook Group: Click Here
Our Facebook Page: Click Here
Our Youtube Channel: Click Here