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बुधवार, 22 जून 2016

महारास-(1)

|| श्री राधा कृष्णाभ्यां नमः ||
श्री हरि
महारास-(1)
     यमुना जी के पुलिन पर भगवान् श्रीकृष्ण ने अपनी रसमयी रास-क्रीडा प्रारम्भ की| सम्पूर्ण योगों के स्वामी भगवान् श्रीकृष्ण दो-दो गोपियों के बीच में प्रकट हो गए| इस प्रकार एक गोपी और एक कृष्ण यही क्रम था सभी गोपियाँ ऐसा अनुभव करती थीं कि हमारा कृष्ण तो हमारे ही पास है|
इस प्रकार सहस्त्र-सहस्त्र  गोपीयों से शोभायमान भगवान् श्रीकृष्ण का दिव्य रासोत्सव प्रारम्भ हुआ| उस समय विमान में शत-शत विमानों की भीड़ लग गई| सभी देवता अपनी-अपनी पत्नियों के साथ वहाँ आ पहुँचे| स्वर्गीय पुष्पों की वर्षा होने लगी| रासमण्डल में सभी गोपियाँ अपने प्रियतम श्यामसुन्दर के साथ नृत्य करने लगीं|यमुना जी की रमणरेती पर गोपियों के बीच में श्रीकृष्ण की बड़ी शोभा हो रही थी| इस प्रकार श्रीकृष्ण की परम प्रिय गोपियाँ उनके साथ नाच-गा रहीं थीं| गोपियाँ भगवान् के स्वर से स्वर मिलाकर मधुर स्वर में गा रही थीं| नाचते-नाचते गिर रहीं गोपियों को भगवान् कास के पकड़ लेते|
     गोपियों का सौभाग्य लक्ष्मी जी से बढ़कर है| लक्ष्मी जी के परम प्रियतम एकान्त वल्लभ भगवान् श्रीकृष्ण को अपने परम प्रियतम के रूप में पाकर गोपियाँ गान करती हुईं उनके साथ विहार करने लगीं| यद्यपि भगवान् आत्माराम हैं-उन्हें अपने अतिरिक्त और किसी की भी आवश्यकता नहीं है-फिर भी जितनी गोपियाँ थी उन्होंने उतने ही रूप धारण करके उनके साथ विहार किया| जब बहुत देर तक नाचने और गाने के कारण गोपियाँ थक गईं तब भगवान् ने स्वयं अपने हाथों से गोपियों के मुख पोंछे| विमानों पर चढ़े देवता भगवान् की स्तुति करने लगे| यह बात स्मरण रखनी चाहिए कि भगवान् सत्यसंकल्प हैं| यह सब उनके चिन्मय संकल्प की चिन्मयी लीला है और उन्होंने इस लीला में काम भाव को, उसकी चेष्टाओं को तथा उसकी क्रिया को सर्वथा अपने आधीन रखा था, उन्हें अपने आप में कैद कर रखा था|
     राजा परीक्षित ने पूछा- भगवान् श्रीकृष्ण सारे जगत के स्वामी हैं| उन्होंने अपने अंश श्रीबलराम जी के सहित पूर्ण से अवतार ग्रहण किया था| उनके अवतार का उद्देश्य ही था धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश| फिर उन्होंने धर्म के विपरीत परस्त्रियों का स्पर्श कैसे किया? मैं मानता हूँ कि भगवान् श्रीकृष्ण पूर्ण काम थे, उन्हें किसी भी वस्तु की कामना नहीं थी, फिर भी उन्होंने किस अभिप्राय से यह कर्म किया? कृपया आप मेरा यह सन्देह मिटाइये|
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भगवान श्री कृष्ण जी की कृपा आप सभी वैष्णवों पर सदैव बनी रहे।
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